सिक्किम: भारत का वह राज्य जहां टैक्स नहीं लगता! जानिए इसके पीछे की वजह
भारत सरकार ने हाल ही में आम बजट 2024-25 पेश किया, जिसमें आम आदमी के कर भार को कम करने के लिए कर ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए। नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत अब 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर देय नहीं होगा, जबकि पहले इतनी आय पर 60,000 रुपये से अधिक कर चुकाना पड़ता था।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक राज्य ऐसा भी है, जहां नागरिकों को आयकर (Income Tax) भरने की कोई आवश्यकता नहीं? यह विशेष छूट केवल इस राज्य के निवासियों को ही प्राप्त है। आइए जानते हैं भारत के इस अनोखे राज्य और इसके कर-मुक्त दर्जे के पीछे छिपी ऐतिहासिक एवं कानूनी वजहें।
पहले कितनी आय पर देना पड़ता था कर?
नई कर व्यवस्था लागू होने से पहले, 7 लाख रुपये तक की वार्षिक आय कर-मुक्त थी। यदि कोई व्यक्ति 7 लाख से अधिक की आय अर्जित करता था, तो उसकी आय विभिन्न कर श्रेणियों के अनुसार कर योग्य हो जाती थी।
लेकिन भारत के एक विशेष राज्य में यह नियम लागू नहीं होता। आइए जानते हैं उस राज्य के बारे में, जहां आयकर देना आवश्यक नहीं।
कौन-सा है वह कर-मुक्त राज्य?
भारत का पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम ही वह राज्य है, जहां के नागरिकों को आयकर अधिनियम के तहत कर का भुगतान नहीं करना पड़ता।
आखिर सिक्किम में टैक्स क्यों नहीं लगता?
सिक्किम का भारत में विलय मई 1975 में हुआ था। इससे पहले यह एक स्वतंत्र राष्ट्र था, जिसकी अपनी अर्थव्यवस्था और कर-व्यवस्था थी। जब सिक्किम का भारत में विलय किया गया, तो वहां के नागरिकों को यह विशेष आश्वासन दिया गया कि उनकी पुरानी कर व्यवस्था लागू रहेगी। यही कारण है कि आज भी सिक्किम के निवासियों को आयकर भरने से छूट प्राप्त है।
कौन-से कानून के तहत सिक्किम को यह छूट प्राप्त है?
सिक्किम राज्य के नागरिकों को भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(26AAA) के तहत कर में छूट प्राप्त है।
यह छूट विशेष रूप से उन्हीं सिक्किमवासियों को दी जाती है, जो 1975 में भारत में विलय से पहले सिक्किम में रह रहे थे और जिनकी आय सिक्किम राज्य के अंदर ही उत्पन्न होती है।
इसमें निम्नलिखित आय के स्रोत शामिल हैं—
- व्यापार से प्राप्त आय
- नौकरी (Salary) से होने वाली आय
- ब्याज (Interest Income) और अन्य वित्तीय साधनों से होने वाली कमाई
सिक्किम का कर-मुक्त दर्जा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा!
हालांकि, इस विशेष कर छूट पर एक बार विवाद खड़ा हुआ, जब असोसिएशन ऑफ ओल्ड सेटलर्स ऑफ सिक्किम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
याचिका में कहा गया कि 1975 से पहले सिक्किम में बस चुके नागरिकों को भी कर में छूट दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर विचार करते हुए आयकर छूट को सही ठहराया और इस विशेष दर्जे को बरकरार रखा।
क्या अन्य राज्यों को भी ऐसा दर्जा मिल सकता है?
सिक्किम का कर-मुक्त दर्जा एक ऐतिहासिक संधि और विशेष राजनीतिक समझौते पर आधारित है, जो भारत सरकार और सिक्किम सरकार के बीच हुआ था। अन्य राज्यों को भी ऐसा दर्जा प्राप्त करने के लिए संविधान में संशोधन एवं विशेष कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा, जो सामान्य परिस्थितियों में संभव नहीं।
निष्कर्ष
भारत में कर ढांचे में लगातार बदलाव किए जा रहे हैं, जिससे आम नागरिकों को कर भुगतान में राहत मिले। हालांकि, सिक्किम एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां नागरिकों को भारतीय आयकर अधिनियम के तहत कर नहीं देना पड़ता।
इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, कानूनी विशेषाधिकार और संवैधानिक संधि इसे भारत के अन्य राज्यों से अलग बनाते हैं। यदि आप सिक्किम में रह रहे हैं और आपकी आय वहीं उत्पन्न होती है, तो आप इस विशेष छूट का लाभ उठा सकते हैं।
आपका क्या विचार है?
क्या आपको लगता है कि भारत के अन्य राज्यों को भी ऐसी ही कर-मुक्त सुविधाएं मिलनी चाहिए? हमें अपने विचार नीचे कमेंट में जरूर बताएं!
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