One Nation, One Subscription: Bhaarat ke Anusandhaan Paaristhitikee Tantr ko Sashakt Banaanaa

वन् नेशन, वन् सप्स्क्रिप्शन्: भारत के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाना

वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन (ONOS) पहल एक ऐतिहासिक कदम है, जिसका उद्देश्य भारत में वैश्विक विद्वानों के ज्ञान तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाना है। यह NEP 2020 और विकसित भारत@2047 के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप है।

ONOS का कार्यान्वयन

  • INFLIBNET की भूमिका: सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क केंद्र (UGC के अंतर्गत) सदस्यता और वितरण का केंद्रीय प्रबंधन करेगा, जिससे संसाधनों तक निर्बाध डिजिटल पहुँच सुनिश्चित होगी।
  • वित्तपोषण: योजना के पहले चरण (2025-2027) के लिए ₹6,000 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है।

पहले चरण में शोध सामग्री तक पहुँच प्रदान करने और भारतीय शोधकर्त्ताओं के लिए आर्टिकल प्रोसेसिंग शुल्क (APC) पर वार्ता करने जैसे कार्य किए जाएंगे।

ONOS के प्रमुख लाभ

  • ज्ञान का लोकतंत्रीकरण: यह पहल टियर-2 और टियर-3 शहरों के शोधकर्त्ताओं को समान अवसर प्रदान करती है, जिससे अनुसंधान के क्षेत्र में असमानताओं को दूर किया जा सकता है।
  • अनुसंधान की गुणवत्ता में वृद्धि: उच्च गुणवत्ता वाली पत्रिकाओं तक पहुँच से भारतीय शोधकर्त्ता वैश्विक स्तर पर अत्याधुनिक नवाचारों में योगदान कर सकेंगे।
  • लागत दक्षता: केंद्रीकृत वित्तपोषण से दोहराव को कम करते हुए संस्थानों की लागत में कटौती होगी।
  • सहयोग को बढ़ावा: वैश्विक शोध समुदायों के साथ भारत का जुड़ाव मजबूत होगा, जिससे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
  • राष्ट्रीय विकास में योगदान: STEM, चिकित्सा, और सामाजिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, जो भारत के आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास के लक्ष्यों के लिए महत्त्वपूर्ण है।

चुनौतियाँ

  • प्रशासनिक जटिलता: 6,300 से अधिक संस्थानों तक समान पहुँच का समन्वय करना बड़ा कार्य है।
  • डिजिटल डिवाइड: दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल साक्षरता की कमी एक बड़ी बाधा बन सकती है।
  • सीमित दायरा: प्रारंभिक चरण में केवल कुछ ही अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाएँ शामिल हैं।
  • स्थायित्व: दीर्घकालिक वित्तपोषण और योजना की निरंतरता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • वैश्विक प्रकाशकों पर निर्भरता: विदेशी प्रकाशकों पर अत्यधिक निर्भरता समय के साथ लागत बढ़ा सकती है।

आगे की राह

  • डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार: दूरदराज के क्षेत्रों में डिजिटल अवसंरचना और प्रशिक्षण को प्राथमिकता देना।
  • ONOS का चरणबद्ध विस्तार: अधिक पत्रिकाएँ, डेटाबेस और भारतीय भाषा संसाधनों को शामिल करना।
  • ओपन एक्सेस को प्रोत्साहित करना: शोधकर्त्ताओं को राष्ट्रीय रिपॉजिटरी के माध्यम से अपने शोध को साझा करने के लिए प्रेरित करना।
  • वैश्विक सहयोग: अन्य देशों के साथ साझेदारी कर बेहतर सदस्यता शर्तें प्राप्त करना।
  • प्रभाव आकलन: अनुसंधान की गुणवत्ता और नवाचार पर ONOS के प्रभाव को मापने के लिए मीट्रिक विकसित करना।

निष्कर्ष

वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन (ONOS) पहल भारतीय अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को एक नई दिशा प्रदान कर सकती है। इसके प्रभावी कार्यान्वयन से न केवल ज्ञान का लोकतंत्रीकरण होगा, बल्कि अनुसंधान की गुणवत्ता और वैश्विक स्तर पर भारत की उपस्थिति भी मजबूत होगी।

आपकी राय?

आपके अनुसार ONOS भारतीय अनुसंधान क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती को कैसे हल कर सकता है? अपनी राय कमेंट में जरूर साझा करें!

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