Haal hee men SpaceX Starship Rocket Durghatnaa: Ek Vistrit Vishleshan

हाल ही में स्पेसएक्स स्टारशिप रॉकेट दुर्घटना: एक विस्तृत विश्लेषण

16 जनवरी 2025 को, स्पेसएक्स के स्टारशिप रॉकेट की सातवीं परीक्षण उड़ान के दौरान एक गंभीर दुर्घटना हुई। टेक्सास के बोका चिका से लॉन्च होने के लगभग आठ मिनट बाद, जब रॉकेट अपने सुपर हेवी फर्स्ट स्टेज बूस्टर से अलग हो रहा था, तभी स्पेसएक्स का रॉकेट से संपर्क टूट गया। इसके परिणामस्वरूप रॉकेट का ऊपरी हिस्सा फट गया और मलबा मेक्सिको की खाड़ी में गिरा।

दुर्घटना के संभावित कारण

स्पेसएक्स के संस्थापक एलन मस्क ने इस घटना के बाद बताया कि रॉकेट के ऊपरी चरण में विसंगति के कारण संचार टूट गया था। कुछ मिनटों बाद यह पुष्टि की गई कि अंतरिक्ष यान पूरी तरह से नष्ट हो गया था। प्रारंभिक विश्लेषण से यह संकेत मिला कि उड़ान के दौरान आग लगने के कारण स्टारशिप टूट गया, जिससे कैरेबियन के आकाश में जलती हुई लपटों का भव्य दृश्य दिखाई दिया।

रॉकेट का निर्माण और कार्यप्रणाली

रॉकेट एक जटिल यान है, जो न्यूटन के गति के तीसरे नियम – प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है – पर आधारित है। इसमें ईंधन और ऑक्सीजन के संयोजन से उच्च दाब वाली गैस उत्पन्न होती है, जो संकरे मुँह से पीछे की ओर बाहर निकलती है और रॉकेट को आगे की दिशा में गति देती है।

रॉकेट के प्रमुख घटक

  • प्रणोदन प्रणाली: इसमें ईंधन टैंक, इंजन, और नोजल शामिल होते हैं, जो रॉकेट को थ्रस्ट प्रदान करते हैं।
  • विमानि की प्रणाली: रॉकेट की दिशा, स्थिरता, और नियंत्रण सुनिश्चित करती है।
  • संरचनात्मक प्रणाली: रॉकेट के विभिन्न हिस्सों को जोड़कर उसकी संरचना को मजबूत बनाती है।
  • पेलोड: वह हिस्सा जिसमें उपग्रह, वैज्ञानिक उपकरण, या अन्य सामग्री रखी जाती है।

रॉकेट संचालन के चरण

  1. लॉन्च: ईंधन के दहन से उत्पन्न थ्रस्ट रॉकेट को ऊपर की ओर ले जाता है।
  2. प्रथम चरण पृथक्करण: ईंधन खत्म होने पर पहला चरण अलग हो जाता है और दूसरा चरण प्रज्वलित होता है।
  3. पेलोड वितरण: निर्धारित कक्षा में पहुंचकर पेलोड को रिलीज़ किया जाता है।
  4. वापसी या नष्टिकरण: कुछ रॉकेट पुनः प्रयोज्य होते हैं जबकि अन्य वायुमंडल में प्रवेश कर नष्ट हो जाते हैं।

रॉकेट का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

रॉकेट तकनीक का इतिहास 13वीं शताब्दी में चीन से प्रारंभ हुआ। मंगोल योद्धाओं के माध्यम से यह तकनीक यूरोप में पहुँची। 1792 में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों के खिलाफ लोहे के रॉकेटों का सफलतापूर्वक उपयोग किया। इसने ब्रिटिश सेना को रॉकेट तकनीक के महत्व को समझने और विकसित करने के लिए प्रेरित किया।

निष्कर्ष

स्पेसएक्स की यह दुर्घटना अंतरिक्ष अन्वेषण से जुड़े जोखिमों की याद दिलाती है। प्रत्येक विफलता नई सीख प्रदान करती है, जिससे अंतरिक्ष एजेंसियां अपने तकनीकी और सुरक्षा मानकों में सुधार करती हैं ताकि भविष्य के मिशन अधिक सुरक्षित और सफल हो सकें।

आपकी राय?

आपके विचार में, स्पेसएक्स की इस दुर्घटना से क्या सबक लिया जाना चाहिए, और यह भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों को कैसे प्रभावित कर सकती है? कृपया अपने विचार हमें कमेंटस् में बताएं!

Stay Connected with Us!

Follow us for updates on new courses, offers, and events from Saint Joseph’s Academy.

Don’t miss out, click below to join our channel:

Follow Our WhatsApp Channel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top